गुरु पूर्णिमा का इतिहास । History of Guru purnima 

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Guru Purnima हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। गुरु पूर्णिमा का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है। क्योंकि इस दिन आपने  गुरु या किसी अन्य व्यक्ति से भी कुछ ज्ञान हासिल किया हो तो उनके प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार कोई भी व्यक्ति हो उसे अपने गुरु के दर्शन जरूर करना चाहिए। हमें साल में कम से कम एक बार तो अपने गुरु के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना ही चाहिए। 


क्योंकि शास्त्रों में भी गुरु को महान बताया गया है। गुरु की महिमा का बखान करते हुए लिखा गया है। गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।गुरु हमे जीवन जीना सीखाते है। गुरु हमे अंधकार से निकाल कर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। इसलिए गुरु हर तरह से आदरणीय और पुजनीय है। Guru Purnima के दिन ही महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। 


महर्षि वेद व्यास ने सनातन धर्म के 18 पुराणों की रचना की थी। यही वजह है कि गुरु Guru Purnima को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। गुरु का कोई रुप नहीं होता है। गुरु किसी भी रूप में हो सकतें हैं। आप के जीवन में जो भी आप को ज्ञान दे या जिससे भी आप को ज्ञान प्राप्त हो , वह आप का गुरु ही कहलायेगा। दत्तात्रेय जी ने अपने जीवन काल में 24 गुरु बनाएं थे। 


गुरु का जीवन में महत्व | Importance of Guru in life


एक बार नारद जी और भगवान विष्णु जी का संवाद हो रहा था । विष्णु भगवान जी ने नारद जी से पूछा नारद जी आज तक तुमने अपना कोई गुरु बनाया है। नारद जी ने जवाब देते हुए कहा नहीं प्रभु आज तक मैंने किसी को अपना गुरु नहीं बनाया है। फिर भगवान विष्णु ने कहा नारद अपने जीवन काल में हर मनुष्य को अपना गुरु किसी ना किसी को बनाना चाहिए।  नारद जी बोलते हैं कि प्रभु जैसी आपकी इच्छा ,अब मैं भी गुरु बनाऊंगा। 


नारद जी अगले दिन एक समुंदर के तट पर पहुंचे और उन्होंने कहा जो भी व्यक्ति मुझे यहां पर सबसे पहले आता हुआ दिखाई देगा। उसे ही मैं अपना गुरु बनाऊंगा। थोड़ी ही देर में वहां से एक मछुआरा आता है। नारद जी ने मछुआरे को देखते ही उस से कहा आज से आप मेरे गुरु हो मैंने आपको अपने गुरु के रूप में स्वीकार किया है। 


नारद जी विष्णु भगवान जी के पास पहुंच कर सारा वृत्तांत बताया और कहने लगे प्रभु मैंने गुरु तो बना लिया है। लेकिन जिसे मैंने अपना गुरु बनाया है। वह एक मछुआरा है। यह सुनकर विष्णु भगवान जी कहने लगे नारद तुमने अपने गुरु का अपमान किया है। अपने गुरु के आगे लेकिन शब्द लगाकर तुम पाप के भागी बन गए हो। अब तुम्हें नरक में जाना पड़ेगा।


यह सुनकर नारदजी बहुत चिंतित हो गए। नारद जी उसी समुंदर तट पर गए नारद जी को उदास देख कर उस व्यक्ति ने जिसे नारद जी ने अपना गुरु बनाया था । उसने पूछा आप इतने चिंतित क्यों है। नारद जी ने सारी कहानी अपने गुरु को बताई। उस मछुआरे ने नारद जी से कहा अब मैं जैसा कहता हूं आप वैसा ही कीजिए। 


नारद जी भगवान विष्णु के पास गए और और कहने लगे ,  प्रभु मैंने लेकिन शब्द लगाकर अपने गुरु का अपमान तो किया है। अब मुझे नर्क भी जाना पड़ेगा। मैं नर्क जाने से पहले एक बार नर्क देखना चाहता हूं। आखिर नर्क होता कैसा है। भगवान विष्णु ने जमीन पर अपने हाथ से नर्क का चित्र बनाकर नारद को दिखाया और कहा यह देखो नारद जी ऐसा होता है नर्क। 


नारदजी जल्दी से उठ कर जमीन पर बने चित्र पर दोनों पैर रखकर खड़े हो गए और बोले भगवान यहां नर्क भी आपका ही बनाया हुआ वह नर्क  भी आप ही बनाया हुआ है। आपके अनुसार मुझे नर्क जाना था। लो में नर्क में चला गया। यह देख भगवान विष्णु मुस्कुराने लगे और नारद जी से पूछा नारद जी आप को यह युक्ति कितने बताई। 


नारद जी हाथ जोड़कर कहने लगे प्रभु मेरे गुरु ने मुझे यह युक्ति बताई है। आज मेरे गुरु ने मुझे नर्क में जाने से बचा लिया। यह होता है गुरु का महत्व गुरु अपने शिष्यों पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं। गुरु कोई भी हो वह हमेशा आदरणीय होता है। गुरु हमेशा अपने शिष्यों को बुरे कार्यों से हटाकर अच्छे कर्मों में लगाते हैं। जिनसे उनका जीवन सफल हो और उनका उद्धार हो।


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Guru Purnima पर अपने गुरु को भेजें ये बंधाई संदेश।


1. गुरु आपके उपकार का
कैसे चुकाऊं मैं मोल
लाख कीमती धन भला
गुरु हैं मेरा अनमोल
हैप्पी गुरु पूर्णिमा 


2. आपसे से सीखा और जाना,
आप को ही गुरु माना,
सीखा सब आपसे हमने,
कलम का मतलब भी आपसे जाना
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं


Guru Purnima Quotes in Hindi


3. सही क्या है गलत क्या है ये सबक पढ़ाते है आप
झूठ क्या है और सच क्या है ये बात समझाते हैं आप
जब सूझता नहीं कुछ भी हमको तब राहों को सरल बनाते है आप
हैप्पी गुरु पूर्णिमा 


 
4. मां-बाप की मूरत है गुरु!
कलयुग में भगवान की सूरत है गुरु!
गुरु पूर्णिमा के दिन करते हैं आभार सलाम से
आओ इस गुरु पूर्णिमा पर करें अपने गुरु को प्रणाम
गुरु पूर्णिमा की शुभ कामनायें!


5. गुरु को पारस जानिए, करे लौह को स्वर्ण
शिष्य और गुरु, जगत में दो ही हैं वर्ण
गुरु पूर्णिमा 2024 की शुभकामनाएं।



6. करता करे ना कर सके, गुरु करे सब होय
सात द्वीप नौ खंड में गुरु से बड़ा न कोय
मैं तो सात समुद्र की मसीह करु, लेखनी सब बदराय 
सब धरती कागज करु पर, गुरु गुण लिखा ना जाय
गुरु पूर्णिमा 2024 की हार्दिक बधाई।


7. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर
मेरे गुरु के चरणों में प्रणाम 
मेरे गुरु जी कृपा राखियो
तेरे ही अर्पण मेरे प्राण
शुभ गुरु पूर्णिमा


Guru Purnima Massages


8. शांति का पढ़ाया पाठ
अज्ञानता का मिटाया अंधकार
गुरु ने सिखाया हमें
नफरत पर विजय हैं प्यार
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं


9. करता करे ना कर सके, गुरु करे सब होय।
सात द्वीप नौ खंड में गुरु से बड़ा ना कोय।।
मैं तो सात समुद्र की मसीह करु, लेखनी सब बदराय।
सब धरती कागज करु पर, गुरु गुण लिखा ना जाय।।
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई।


Guru Purnima Badhai Sandesh


10. गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
गुरु पूर्णिमा 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं।


11. गुरु है गंगा ज्ञान की, करे पाप का नाश।
ब्रम्हा-विष्णु-महेश सम, काटे भाव का पाश।।
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें 


12. गुरुवर के चरणों में रहकर
हमने शिक्षा पाई है
गलत राह पर भटके जब हम
तो गुरुवर ने राह दिखाई है
शुभ गुरु पूर्णिमा


Guru Purnima के दिन क्या करना चाहिए 

के दिन सर्वप्रथम सभी को जल्दी उठना चाहिए और दैनिक क्रिया से निवृत होकर सबसे पहले माता-पिता के चरण वंदना करें, यानी शाष्टांग दण्डवत करें। यहीं तो हमारे प्रथम गुरु हैं ।माता पिता के आशीर्वाद आपको अद्भुत और अलौकिक कवच प्रदान करता है। देव दर्शन करते हुए, प्रभु को भोग लगा कर उनका आशीर्वाद लें।

गुरु, अध्यापक और जिनसे आपको किसी न किसी रुप में ज्ञान की प्राप्ति हुई है उनसे अवश्य मिलने प्रणाम करें, और उपहार दें। किसी गरीब को भरपेट भोजन अवश्य कराना चाहिए। कोई निर्धन जिसके तन पर वस्त्र नहीं हैं, उसको आप वस्त्र भी दे सकते हैं।


अपने गुरु को प्रणाम करें यदि वह साक्षात् आपके समक्ष न हों तो उनका ध्यान करके मानसिक प्रणाम करना चाहिए। घर में रामचरितमानस, श्रीमद्भगवद्गीता हो या कोई भी धार्मिक पुस्तक हो उसको पूजा स्थान में रखकर उसमें पुष्प चढ़ाए उनको लाल कपड़े से लपेटें। उनको प्रणाम करिए और थोड़ा समय निकालकर उसका पाठ करिए, क्योंकि धर्मग्रंथ साक्षात् गुरु हैं।


गुरु का आशीर्वाद लेना बहुत ही आवश्यक है गुरु को रिप्रेजेंट गाय करती है इसलिए गौ माता के समक्ष जाकर उनको भरपेट भोजन कराने की व्यवस्था करनी चाहिए उनको पश्चात प्रणाम करके जीवन में जो भी गलतियां की है उसकी क्षमा मांगते हुए उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।


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