NATO क्या है ? और इसकी स्थापना कब हुई 

विश्व मे कही भी जब लड़ाई होती है तो Nato का जिकर होने लगता है। कई लोगों को NATO के बारे में कोई जानकारी नहीं है। अगर आप भी नाटों के बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। NATO का पूरा मतलब है North Atlantic Treaty Organisation, इस आर्टिकल मे मै आप को बताऊंगा कि कब , कहां और कैसे नाटों की स्थापना हुई। नाटो की स्थापना करने की जरूरत क्यों पड़ी। नाटो की स्थापना किसने की। नाटो क्या करता है। नाटो का मकसद क्या है। नाटों मे कौन कौन से देश शामिल हैं। इन सब सवालों का जवाब इस आर्टिकल मे आपको मिलेगा।

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NATO एक रक्षा संगठन है। नाटो का मतलब है नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन हैं । नाटो उत्तर अटलांटिक संधि संगठन हैं ।‌ आसान भाषा मे कहें तो 4 अप्रैल 1949 को कुछ देशों ने मिलकर एक संगठन का गठन किया। नाटो का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में हैं । इस संगठन मे अमेरिका, फ्रांस, कैनेडा यूके जैसे कई बड़े छोटे देश शामिल थे। नाटो की जब स्थापना हुई थी । तो 12 देश नाटो के सदस्य थे। बाद मे धीरे-धीरे नाटो के सदस्य देशों की संख्या बढ़ती गई। 


NATO की स्थापना क्यों की गई।

Nato नाम का रक्षा संगठन बनाने का कारण यह था कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद उस समय का सोवियत संघ ने पूर्वी यूरोप से अपनी सेनाएं हटाने से इंकार कर दिया और अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करने  लगा। सोवियत संघ ने 1948 में बर्लिन की नाकेबंदी कर दी। अमेरिका सोवियत संघ के खिलाफ एक ऐसा संगठन खड़ा करना चाहता था जो उसका युद्ध के मोर्चे पर सोवियत संघ का मुकाबला कर सके। इसलिए अमेरिका ने एक ऐसा संगठन बनाने की कोशिश की जो उस समय के शक्तिशाली सोवियत संघ के अतिक्रमण से रक्षा कर सके। इस तरह से Nato की स्थापना हुई। 

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Nato मे कितने देश शामिल हैं। 

जब NATO की स्थापना की गई थी तो इस के मूल सदस्य बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका थे। लेकिन अब NATO मे कुल मिलाकर कर 30 देश शामिल हैं। अब नाटो संगठन की संख्या 30 पहुंच गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, कनाडा, इटली, नीदरलैंड, आइसलैण्ड, बेल्जियम, लक्जमर्ग, नार्वे, पुर्तगाल, डेनमार्क, अल्बानिया, बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक रिपब्लिक, इस्तोनिया, जर्मनी, ग्रीस, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, मोंटेनिग्रो, पोलैंड, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, तुर्की, रोमानिया, ये सभी देश वर्तमान मे नाटो के सदस्य हैं। 


NATO नाम का संगठन क्या करता है

NATO का गठन दूसरे विश्व युद्ध के समय अमेरिक और यूरोपीय देशों ने मिलकर किया था। यह संगठन सोवियत संघ से डर कर बनाया गया था। हालांकि दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ बिखर गया। नाटो को बनाने के लिए जो संधि हुई थी उसके अनुसार अगर कोई देश नाटो के सदस्य देश पर कोई हमला करता है तो उसे नाटो के सभी देशों पर हमला माना जायेगा। अगर कोई बाहरी देश नाटो के सदस्य देश पर हमला करता है तो नाटो उसे अपने ऊपर हमला मान कर उस देश की रक्षा के लिए अपनी सेना भेजता है। फिर नाटो उस युद्ध को लड़ता है। नाटो सभी देशों के सैनिक होते हैं। जो एक युद्ध लड़ते हैं। 


अगर NATO के सदस्य देशो के बीच युद्ध होता है तो नाटो क्या करेगा।

NATO देशों की जो संधि है उस पर हस्ताक्षर करते ही कोई भी देश नाटो का सदस्य बना जाता है। नाटो का सदस्य बनने के बाद सभी सदस्य देशों को इस संधि का पालन करना पड़ता है। जैसे किसी देश का एक लिखित संविधान होता है वैसे ही नाटो की संधि को लिखित में दर्ज किया गया है। नाटो के कई सारे नियम और निर्देश है सभी सदस्य देशों को इसका अनुशारण करना पड़ता है। इस संधि मे यह भी कहा गया है कि कोई भी नाटो सदस्य देश दूसरे नाटो सदस्य देश पर हमला नही करेगा। 


अब सवाल आता है कि अगर कोई NATO सदस्य देश दूसरे नाटो सदस्य देश पर हमला करता है तो क्या होगा नाटो इसमें क्या भूमिका निभाएगा। अगर कोई नाटो देश दूसरे नाटो सदस्य देश पर हमला करता है तो वह नाटों की संधि का उल्लघंन करता है। ऐसी स्थिति मे उस देश को नाटो से बाहर कर दिया जाता है। फिर वह देश नाटो का सदस्य नहीं माना जायेगा। परन्तु ऐसी स्थिति में इस बात का निर्णय करना बहुत मुश्किल हो जाता है कि किस नाटो देश ने दूसरे नाटो देश पर हमला किया किया है।और किस देश ने नाटो की संधि का उल्लघंन किया इसका निर्णय करना मुश्किल हो जाता है। इसका निर्णय सर्वसम्मति से लिया जाता है। दोषी पाए जाने वाले देश को नाटो से बाहर कर दिया जाता है। 


Final Words 

यह भी सच है की वर्तमान मे NATO की स्थिति पहले जैसी नही रह गई हैं। कई नाटो सदस्य देशों के बीच वाद-विवाद होता देखा गया। और ना ही अब सोवियत संघ रहा जिसके लिए नाटो का गठन किया गया था। हालांकि अभी भी नाटो अस्तित्व में है और कई देश नाटो का सदस्य बनने के इच्छुक हैं। यूक्रेन काफी समय से नाटो का सदस्य बनने का इच्छुक है। रुस इसका विरोध करता है। रुस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध का एक कारण नाटो को भी माना जाता है।