सतपाल जी महाराज के वचन (Satpal Ji Maharaj Quotes)
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Satpal Ji Maharaj |
1.जो सूरज की दिशा में है उस पर प्रकाश पड़ रहा है। इसी तरह जो गुरु महाराज जी की तरफ उन्मुख होकर उनका ध्यान करता है उस पर ही गुरु महाराज जी की कृपा होती है।
2.धर्म के चिन्ह भले ही अलग-अलग हो पर सभी धर्मों की आत्मा एक ही है। धर्म प्रवर्तक भले ही अलग-अलग हो , पर सब की मूल शिक्षाएं एक ही है।
3.धर्म का संबंध मानव शरीर से नहीं बल्कि मानव की चेतना से है बौद्धिकता से नहीं अपितु हृदय से है। हिंदू मुसलमान से नहीं बल्कि मानव से हैं।।
4.युग परिवर्तन के लिए हमें पेड़ नहीं बदलने, आकाश नहीं बदलना, जमीन नहीं बदलनी है। बल्कि मानव को बदलना है मानव को बदलने के लिए उसके हृदय को बदलना होगा , यही सच्चा युग परिवर्तन है।
Satpal Ji Maharaj Quotes
5.जिस तरह अक्षरी विद्या सिखने के लिए गुरु की जरूरत होती है। वैसे ही आत्म ज्ञान को जानने के लिए सतगुरु की शरण में जाना पड़ता है।
6.सैनिकों का कर्तव्य दुश्मनों से देशवासियों की रक्षा करना होता है। ऐसे ही मानव का कर्तव्य है काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार को काबू कर निरंतर भगवान का सुमिरन करे।
7.महापुरुषों की यही सबसे बड़ी पहचान होती है कि वह अध्यात्मवदि होने के साथ-साथ एक महान राष्ट्रवादी भी होते हैं।
8.अध्यात्म में ही राष्ट्रीय एकता और संप्रदायिक सद्भाव का मूल आधार है।
9.जो परमात्मा से दूर लेकर जाएं वह पाप है। जो परमात्मा के पास लाएं वह पुण्य है।
10.धर्म के चिन्ह भले ही अलग-अलग हो पर सभी धर्मों की आत्मा एक ही है। धर्म प्रवर्तक भले ही अलग-अलग हो , पर सब की मूल शिक्षाएं एक ही है। धार्मिक व्यक्ति वह है जो धर्मों के चिन्ह और प्रतीकों के लिए नहीं लड़ते बल्कि उनकी मूल शिक्षाओं को ग्रहण करके अपनी आत्मा का विकास करते हैं।
Satpal Ji Maharaj Ke Vichar
11.संग ना करो राजा की पता नहीं कब रुला दे, संग करो संतों की पता नहीं कब हरि से मिला दे।
12.हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम से प्रकट होते में जाना
13.जात न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान मोल करो तलवार की पड़ी रहन दो म्यान।
14.जीवन का उद्देश्य केवल भोग विलास का उपभोग करना नहीं है बल्कि अपने सच्चिदानंद स्वरूप को जानना है।
15.मानव मात्र का परम धर्म है यह है कि वाह योग साधना द्वारा आत्म दर्शन प्राप्त कर अपना कल्याण करें।
Satpal Ji Maharaj Ke Sandesh
16.प्रभु के नाम सुमिरन में पूर्ण समर्पित हो कर ही व्यक्ति परमानन्द की अनुभूति कर सकता है।
17.तीर्थों में स्नान, दान सैकड़ों प्राणायाम करने से भी नहीं अपितु गुरु के उपदेश से ही ब्रह्मा तत्त्व की अनुभूति होती है।
18.संत महापुरुषों का सत्संग ही एक ऐसा कारखाना है जहां दानव को मानव बनाया जाता है।
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19.सत्संग इंसान की रूहानी खुराक है, इसके ना मिलने से रूह कमजोर हो जाती है। इसलिए इंसान को चाहिए कि वह हर समय इसका सेवन करें।
20.कोई संसार में किसी को ऊंचा नहीं उठाता है कोई संसार में किसी को नीचा नहीं गिराता है।
मनुष्य स्वयं अपने कर्मों से बनता है और अपने ही कर्मों से बिगड़ता है।
Satpal Ji Maharaj Quotes
21.ज्ञानदाता गुरु शिष्य के हदयरुपी खाली पात्र को अपने ज्ञानामृत से भर कर उसे जीवन-मुक्त बना देता है।
22.यहां पुरुषों की शिक्षा सिर्फ ईश्वर की भक्ति की ही नही , बल्कि व्यापक मानवतावादी एंव विश्व बंधुत्व की भावना से ओत-प्रोत होती है।
23.ईश्वर भक्ति की शिक्षा देना ही पर्याप्त नहीं , जनता जनार्दन की सेवा का भाव भी होना चाहिए।
24.अशांति से बचने के लिए मन को परमात्मा में लगाना ही होगा।
25.समाज में शांति एकता और परस्पर सद्भाव की स्थापना ही मानव धर्म का उद्देश्य है।
Satpal Ji Maharaj ke Anmol Vachan
26.जीवन की नैया कभी फंसे बीच मझदार, सतगुरु रूपी केवट ही उसे लगाता पार।
27.राम नाम की नैया लेकर सतगुरु करे पुकार, आजा मेरी नैया में ले चलूं तुझे भवसागर से पार।।
28.गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने जो गोविंद दियो मिलाएं
29.जिनका मन रूपी दर्पण मैला है, और जो विश्वास रूपी मित्रों से हीन है। वे बेचारे सतगुरु महाराज का रूप कैसे देख सकते हैं।।
30.जिनको निर्गुण सगुण का कुछ भी विवेक नहीं, जो अनेक मनगढ़ंत बातें करते हैं, वह स्वयं भी भ्रमित रहते हैं और दूसरों को भी भ्रमित करते हैं।
Satpal Ji Maharaj Ke Mahan Vichar
31.देश में राजा , समाज में गुरु और परिवार में माता-पिता कभी साधारण नहीं होते। निर्माण और प्रलय दोनों इन्हीं के हाथों में होता है।
32.जो निर्गुण निराकार अव्यक्त हैं वही भक्तों के प्रेमवश सगुण हो जाता है।
33.जो निर्गुण है वह सगुण कैसे। वैसे ही जैसे जल और बर्फ में कोई भेद नहीं। दोनों जल ही है, ऐसे ही सगुण और निर्गुण भी एक ही है।।
34.जिन्होंने भगवान की भक्ति को अपने हृदय में स्थान नहीं दिया वह व्यक्ति जिंदा होते हुए मुर्दे के समान है।।
35.वह ह्रदय वज्र के समान कड़ा और निष्ठुर है, जो गुरु महाराज जी कृपा को देखकर भी गदगद और हर्षित नहीं होता।
Satpal Ji Maharaj Quotes
36.गुरु महाराज जी की सेवा कामधेनु के समान है, जो सेवा करने से सब सुखों को देने वाली है।।
37.जो जीभ भगवान के नाम का सुमिरन नहीं करती वह जीभ मेढक के जीभ के समान है।।
38.वे कड़वे तुंबी(कद्दू जैसा कुछ) के समान है जो गुरु महाराज जी के चरणों में नहीं झुकते।
39.गुण मिले तो गुरु बनाओ चित मिले तो चेला, मन मिले तो मित्र बनाओ वरना सबसे भला अकेला।।
40.जिन्होंने अपनी आंखों से कभी भी संत महात्मा के दर्शन नहीं किए उनकी आंखें मोर के पंखों पर बनी नकली आंख के समान है।।
Satpal Ji Maharaj Ke Status
41.लोग क्या कहेंगे यह सोचकर जी रहे हैं। भगवान क्या कहेंगे कभी उसके बारे में विचार किया है।।
42.जिन्होंने अपनी कानों से कभी सत्संग नहीं सुना उनके कानों के छेद सांप के बिल के समान है।।
43.भगवान पर विश्वास बिल्कुल उस बच्चे की तरह करो जिसको आप हवा में उछालों तो वह हंसता है, डरता नहीं, क्योंकि वह जानता है कि आप उसे नीचे गिरने नहीं दोगे।
44.माता पिता और गुरु महाराज की बात तो बिना सोचे विचारे शुभ मानकर करना चाहिए।
45.अहंकार में तीनों गए धन, वैभव और वंश, यकीन ना आए तो देख लो रावण, कौरव, कंस।
46.जिनका स्मरण करने मात्र से ज्ञान रूपी अंधेरा दूर हो जाता है ऐसी होती है गुरु महाराज जी की कृपा।
47.वेद पुराण और संतों ने भी कहा है जो लोग गुरु से छल या छुपाव करते हैं वह कभी सच्चा ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
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